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Venkatesh R

Drama Tragedy Classics

3  

Venkatesh R

Drama Tragedy Classics

इंटरनेट प्यार

इंटरनेट प्यार

2 mins
199


(Verse 1) ये कहानी एक जवान लड़की की है, जो मानव व्यापार के जाल में फंसी है। प्यार के नाम पर हुआ उसका अपहरण, उसने विश्वास किया उसकी बातों पर।

वो रिश्ता था जहां वो खोया सब कुछ, जिसकी उम्मीद माता-पिता से थी उसे नहीं। वो भागने की कोशिश में हर दिन थी, दोस्ती की, पहचान खो बैठी उस दुनिया में।

(Chorus) उठती है सवाल, भगवान, क्या यही है हक़ीक़त? क्या वह इसके लायक़ है, ये क्या था क़सूर? दिन-रात उसने जीना सीखा, मान्यता बना ली, माँ बनी वह फिर भी वही करियर चुनी।

(Verse 2) अपने बच्चों को पालने के लिए, उसने वह व्यवसाय बढ़ाया है। पर फिर उठी उसमे हिम्मत और साहस, उठाया आवाज़ उसने इस मुद्दे के ख़िलाफ़।

(Chorus) उठती है सवाल, भगवान, क्या यही है हक़ीक़त? क्या वह इसके लायक़ है, ये क्या था क़सूर? दिन-रात उसने जीना सीखा, मान्यता बना ली, माँ बनी वह फिर भी वही करि

यर चुनी।

(Bridge) क्या कमाल की बात है।

माता-पिता कर सकते हैं, वह प्यार बरसाना। जीवन को संवारना, सपनों को पहचाना।

(Verse 3) उसने समाज को जगाया, जागरूकता बढ़ाई, बच्चों और जवानों में जागृति लाई। हर एक को सिखाया, दिया आशा का प्रकाश, हिम्मत दी कि बदलेगा यह बुरा हालात।

(Chorus) उठती है सवाल, भगवान, क्या यही है हक़ीक़त? क्या वह इसके लायक़ है, ये क्या था क़सूर? दिन-रात उसने जीना सीखा, मान्यता बना ली, माँ बनी वह फिर भी वही करियर चुनी।

(Outro) प्रेम और ध्यान, इन्सानियत की पहचान, बच्चों को संजोने का यही वो संकल्प। जवानी की गलत राहों से उबरना, स्वतंत्रता के गीत गाना, जीने का सपना।

आज उठो और बदलो दुनिया का नक़्शा, प्यार से प्यार बाँटो, खुशियों को बांटो। क्योंकि जीवन की सबसे छोटी और महत्वपूर्ण चीज़, है बच्चों को सरसराता प्यार का सम्मान।


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