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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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इंसानियत

इंसानियत

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हो रहे कमजोर पर हम लाल पीले 

दाम की दुनिया यहाँ इंसान लीले।


भेजा था प्रभु ने जहाँ में प्रीत करने 

हमने बनाये दुश्मनी के ही कबीले।


चल दिए हैं तन के जाने वो कहाँ

डर से जिनके हो रहे पतलून गीले


दीन दुखियों के दुखाने दिल लगा

और सभा में बोल तेरे हो गए ढीले


जब जरूरतमंद ने तुझको निहारा 

लव से निकले शब्द हैं तेरे नुकीले।


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