इंसानियत जाने कहाँ खो गयी
इंसानियत जाने कहाँ खो गयी
माँ ने कभी भी किसी मजहब के खिलाफ
पाठ नहीं सिखाया।
हमारे गुरुओं ने हमको कभी भी
किसी मजहब के खिलाफ पाठ नहीं पढ़ाया।
हमारे दोस्त अलग अलग मजहब के थे
हमेशा हमारे दरमियां दोस्ती रही
नफरत का नामोनिशान ना था।
चारो और फिर ये तेरा मजहब
मेरा मजहब कौन चिल्ला रहा है।
कौन है वो दरिंदे जो नफरत का ज़हर
दिलों में घोल रहे है।
कौन है वो दरिंदे जो
दिलों को तोड़ रहे हैं
देश के टुकड़े करना चाहते हैं
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है
बाकी सब धर्म बाद में आते हैं।
पहले एक अच्छे इंसान बन जाओ
जीवन सफल हो जाएगा
अपने मतलब के लिए
कभी भी किसी का इस्तेमाल ना करो
चाहे वो अपना हो या पराया।
किसी का इस्तेमाल करना
ईश्वर को धोखा देने समान होता है
जो बेटा बहू आपको खून के आंसू रुलाये
उसको अपन
ी जायदाद देने से अच्छा
किसी गरीब को दान दे दे।
जो बहू अपने सास ससुर की सेवा ना कर सके
उसको सास ससुर की कमाई पर
आंख नहीं रखनी चाहिए,
अपने पति की कमाई पर ही नजर रखे
पर ये ना भूले की उसकी पति की कमाई पर
पहला हक उसका नही उसकी सास का है।
इंसानियत जाने कहाँ खोती जा रही है
हर कोई है मशरूफ यहां
नहीं वक्त किसी के पास किसी के लिए
कोई गिरता है तो गिर जाने दो
कोई मरता है तो मर जाने दो।
सामने देख कर भी नजरें चुरा लेते हैं लोग
कोई बीच राह में लड़ रहा है तो
रुक कर तमाशा देखने लगते हैं लोग
कोई आगे बढ़ कर झगड़ा रोकते नहीं
वीडियो निकालने लगते हैं लोग।
कोई डूब रहा है डूबने दो उनको परवाह नहीं
तमाशबीन दुनिया फ़ोटो निकालने का काम करती है
सुना है कभी दौर हुआ करता था पत्थरों का
अब तो पत्थर के हो गए हैं लोग।