इन्सान
इन्सान
इन्सान तू मत बन निष्फल ,
कामना है तू बन सफल।
सूख तेरा बन जाए दर्पण,
दुुःख को तू करे अर्पण।
सूूरज के समान तेज बन तू,
सब को प्रकाशमान कर तू।
अनुपम का प्रतीक है तू,
फिर दुश्मनी क्यो करता है तू?
इन्सान क्यों बन गया तू निर्दयी,
क्यों है कठोर तेरा ह्रदय ?
जीवन का सच्चा अर्थ समझ ले
इस जीवन को सफल बना ले।
