मंजिल की तलाश
मंजिल की तलाश
जीवन का है ये सफर
काँटों से भरी है डगर
पर उसकी चिंता मत कर
यदि मंजिल की ओर है नजर।
काँटे मुझे चूभकर
कहते है लक्ष्य भूलकर
चली जा राह छोड़कर
जीवन हैं कठिन सफर।
मंजिल की तलाश पर
काँटों को पार कर
जाना पड़े मुुुुझे अगर
गम नहीं मुझे मगर।
लक्ष्य की ओर हैं मेरी नजर
अभिलाषा है मेरी डगर
नहीं जाऊँगी छोड़कर
भले ही कठिन है सफर।
मंजिल मुझे मिलकर
स्व॔य बनेेेेगी मेरी डगर
मेरे सपने को साकार कर
मेरी बनेगी मुझे बनाकर।
