इनायत
इनायत
इनायत प्रभु आपकी हो हम पर,
दुख दर्द सब ऐसे मिट जाए
अँधेरा दिलों का खत्म हो जाये,
सारे जहाँ में रोशनी फैलाये।
न झुके सिर कभी भी शर्म से,
नेकियां हमारी सदा काम आए।
हाथ जब भी उठे मदद के लिए हो,
माँगने की नौबत कभी न आये।
हम ऐसे निखरे इस जहां में जैसे
काँटों के बीच फूल खिल जाये।
मेरा होना मुकम्मल करे मेरे अपनों को,
चोट मेरी वजह से कोई भी न पाए।
कुछ ऐसी इनायत हो प्रभु आपकी,
नेकियों की राह हमें मिल जाये।
खुशियाँ दोनों हाथों से इस जहां में
हम सभी को खुद बाँट आये।
