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Aarohi Vaidya

Abstract

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Aarohi Vaidya

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इन शब्दों में

इन शब्दों में

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कुछ दर्द है इन शब्दों में,

तो कहीं थोड़ा मरहम भी है,

कुछ कड़वी सच्चाई है,

तो कहीं मीठा वहम भी है।

जैसे ज़मीन से लिपटकर पिघल जाती है बर्फ़,

उसके पीछे एक ठंडी लहर छा जाती है,

कुछ ऐसी ही माया है इन शब्दों में,

बातें कम होती हैं,

पर सुनने वाले पर कहर ढा जाती है!

आम ज़िंदगी बसती है इन शब्दों में,

चाहे महादेवी वर्मा या प्रेमचंद की कहानी हो,

टक्कर देकर दिखाए कोई,

जहाँ भक्ति मीरा और तुलसी की ज़ुबानी हो!


बॉलीवुड के डायलॉग पर फ़िदा सारी दुनिया हो,

या रिझाना हो किसी को संगीत के ताल पर,

जीवन के रंगों का मूल आधार है हिंदी,

संदेह

नहीं इसके शब्दों के कमाल पर!


बस एक मात्रा के फ़र्क से ही जहाँ,

"दीन" का रोशन-सा बन जाता "दिन" है,

गलतियों पर टोकती है माँ की तरह,

सफलता देने के लिए बन जाती जिन है!


अपनों के लिए अनंत प्रेम का एहसास है,

दुश्मनों के सामने अपनी ताकत का विश्वास है,

इन शब्दों में लेहका है, साथ ही दृढ़ता की शक्ति है,

तो कहीं "जन-गण-मन" में अपार देशभक्ति है!


धर्म की न कोई रेखाएँ हैं, बस महानता की परिभाषा है,

देश की रगों में बसी जो हर अरमान की अभिलाषा है,

खुशियों की मुबारकबाद का मीठा-सा बताशा है,

यह हिंदी है, हर हिन्दुस्तानी के दिल की भाषा है!!!

  


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