चल मान लिया
चल मान लिया
चल मान लिया, तू जीत गया,
चल मान लिया, मैं हारा।
पर मैंने हार कर भी हँस लिया,
और तू जीतकर भी दुखियारा?
चल मान लिया, तू जीत गया,
चल मान लिया, मैं हारा।
पर मेरी अमावस की रात भी तारों से रोशन होगी,
और तू तरसता रह जाएगा चंदा का सहारा!
तूने जीतकर भी अपना ही भविष्य उजाड़ दिया,
मैंने हार कर भी आबाद रखा अपना संसार।
मैं हरदम हारकर भी लोगों के दिलों में पलता रहा,
तेरा तो बस चीखता रह गया अहंकार।
देश जीतने को अपने छोड़े,
दुनिया जीतकर भी शांति के उनके सपने तोड़े।
यहाँ रणभूमि में तू जीत का परचम लहरा रहा है,
और वहाँ तेरे घर में जुदाई का स्वर कहर ढा रहा है।
माना तूने विज्ञान बनाया,
मेरे हर वार को असफल ठहराया।
पर आज भी मेरे एक इशारे पर तेरा जहाँ हिल जाता है,
एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाकर भी
मेरे तूफ़ान का तोड़ नहीं मिल पाता है।
सरहदों पर हथियार तैनात हैं मतलब
आज भी एक-दूसरे से डरते हो,
तुम तो दुनिया जीतकर भी रोज़ प्रलय की ओर बढ़ते हो।
पर मेरी शरण में आया हर जीव स्वयं को सुरक्षित पाता है,
मैं हारा ज़रूर हूँ, पर मेरे हर कदम से तू
डरकर डगमगा जाता है।
हारकर भी मैं नीडर हूँ, तू जीतकर भी डरकर खड़ा है,
अरे कितनी बार झंझोड़ा तुझे फिर भी
तेरे दिमाग पर घमंड का नशा चढ़ा है।
अजीब है तेरी माया, पहले मुझपर
बम फोड़ कर ग़ुरूर दिखाता है,
और जवाब में जब मैं तेरी दुनिया को हिलाता हूँ,
तो खुद ही रहम की भीख मांगता है!
तेरी हर गलती पर क्रोधित होता हूँ,
पर तुझे प्रेम करता हूँ इसलिए
तुझे प्रेम से समझाता हूँ।
एक चुटकी में तेरे समस्त जगत का
विनाश करने की शक्ति रखता हूँ,
तू मौत के लायक है, पर मैं हर बार तुझे
चेतावनी देकर क्षमा करने की गलती करता हूँ।
चल मान लिया, तू जीत गया,
चल मान लिया, मैं हारा।
तुझे दी गई छोटी-सी सजाओं के लिए भी
तू मुझसे नफ़रत करता है,
तेरे दिए गए बड़े-से-बड़े दुःख के
बाद भी तू है मुझे प्यारा।
विडंबना तो यह है कि मैं हारा,
फ़िर भी तू कल भी मंदिरों में मेरी पूजा करेगा,
तू जीता, फ़िर भी तू हाथ जोड़कर,
सिर झुकाकर विनम्रता से मुझे प्रार्थना करेगा।
मगर पुत्र, अगर तू जीतकर भी हर जीव को आज़ादी देना,
सुरक्षा देना भूलकर, सिंहासन बनाकर
उसपर राजा की भांति चढ़ा है,
तो याद रख! तू मुझे कितना ही प्यारा क्यों न हो,
तेरे विनाश के लिए हमेशा मेरा त्रिशूल खड़ा है!