तू इसीलिए महान है
तू इसीलिए महान है
आँसू हैं आँखों में, पर होठों पे मुस्कान है,
ऐ भारत, तू इसीलिए महान है।
न मिट्टी से सोना उगता है,
न कोई मोती का दाना चुगता है।
फिर भी, मेहनत और संतोष से खुशियाँ सबके पास हैं,
पैसों का क्या मोल, तेरी तो धरोहर सबसे खास है।
हाँ, यहाँ कृष्ण भी है और कंस भी,
कौए भी हैं, हंस भी,
पर सिर्फ़ अच्छाईयों से सनी तो कहाँ कोई धरा है,
फिर भी, मुश्किलों के बीच हर दिल आशाओं से भरा है।
यहाँ प्रेम है और क्रोध भी,
सहमती है, विरोध भी,
पर विद्रोह की लपटों को रोकने, समझदारी की चेतना अटल खड़ी है,
हाँ, चुनौतियाँ ज़रूर हैं, पर बदलाव की संभावना भी बड़ी है।
नित-नए कष्टों के बाद भी, हर दिल में तेरा बखान है,
तुझमें चलते रहने का जज़्बा है, तू इसीलिए महान है!
पंजाब के सरसों से केरल के मसालों तक,
उत्तर-पूर्व की परंपराओं से गरबे की मिसालों तक,
देश कभी उत्सवों में झूमता है तो कभी मतभेद की ज्वाला में जलता है,
फिर भी हर देशवासी गर्व से हिंदुस्तानी कहलाता है, हर दिल में तिरंगा पलता है।
यहाँ वेश, भाषा, रंग, रूप- सब अनेक हैं,
फिर भी तेरी सेवा में व्यवसाय सारे एक हैं।
कोई शस्त्र से, तो कोई शास्त्र से अपना योगदान चढ़ाता
है,
तो कोई खेल-कूद और कलाओं से तेरा सम्मान बढ़ाता है।
हँसी चाहे भिन्न हो, पर आँसू साथ ही गिरते हैं,
कईं हाथ थाम लेते हैं जब हम मुश्किलों से घिरते हैं।
पर सबसे ऊपर तो वो है जो धड़कते दिल से तेरा नाम पुकारकर बलिदान होता है,
अपना लहू देकर तिरंगे को ऊँचा रखना उस शहीद के लिए कहाँ आसान होता है!
पर ऐसे वीरों से भरा तेरा आँगन, कब होता वीरान है,
तिरंगे में लिपटना उनका गर्व है, तू इसीलिए महान है!
यहाँ कढ़ाई भी है, कलम भी,
तलवार भी है, मरहम भी,
यहाँ किसान हैं, जो धरती को माँ मानते हैं,
और वैज्ञानिक हैं, जो आसमान छूना जानते हैं।
यहाँ सब धर्मों की अपनी अनोखी रीत है,
गीता हो या क़ुरान, सभी सीखतीं प्रीत हैं।
यहाँ अलग प्रांत के लोग भी होते सभी यार हैं,
तेरे नाम के लिए मर-मिटने को सभी यहाँ तैयार हैं।
यहाँ बुद्धि भी है, ताकत भी,
ममता भरी नज़ाकत भी,
जो हर समस्या का सामना करे, तू ऐसे लोगों की माँ है,
हमारे लिए तो तू ही हमारी दुनिया, तेरे बाद सारा जहाँ है।
हिंदुस्तानियों के दिल बड़े हैं, भले ही थोड़े छोटे मकान हैं,
हर तरक्की में, हर साँस में तेरा नाम है, ऐ भारत, तू इसीलिए महान है!!!