इन आँखों में रतजगा रहने दो
इन आँखों में रतजगा रहने दो
बड़ी मुश्किल से मिलता है कोई महबूब,
इश्क हुआ है तो इसे इसे इश्क ही रहने दो !
वक़्त की घड़ियों को ज़रा कीलों पर टांग दो;
साथ के उन लम्हों को ज़रा आज़ाद रहने दो !
प्रियतम के प्रेम से भीगे भीगे एहसासों को,
अपने ह्रदय में सहेज़कर वो जज़्बात रहने दो !
ज़ब बढ़ा लिया है मोहब्बत की राह में कदम,
तो, अब कोई क्या सोचेगा यह सब रहने दो !
आपके चेहरे पे इब खुमारी सी नज़र आती है;
अब बहुत हुआ हुज़ूर, आँखों में रतज़गा रहने दो !

