इक्कीसवीं सदी हमारी होगी
इक्कीसवीं सदी हमारी होगी
अभी कहाँ विश्राम है यारों
हमें बहुत दूर चलना होगा ---
नदियाँ कंचन सी बहती होगी,
फसलें खेतों में लहलहाती होगी ।
आसमां पर फ़साने होंगे,
चाँद सितारे नन्हे मुन्नों के मामा होंगे ।।
अभी कहाँ विश्राम है यारों,
हमें बहुत दूर चलना होगा ---
भारत की सभ्यता -संस्कृति को ,
धरा के कण कण में बसना होगा ।
कम्प्यूटर के इस युग का भी,
इतिहास हमें ही रचना होगा ।।
अभी कहाँ विश्राम है यारों,
हमें बहुत दूर चलना होगा ----
वतन प्रेम वतन परस्ती की गाथाएँ,
हर माता की लोरी होगी।
कंचन माला की हर चोटी पर,
रखवाली आँख तिरंगी होगी।।
अभी कहाँ विश्राम है यारों ,
हमें बहुत दूर चलना होगा ------
महावीर, गांधी की भूमि पर ,
अहिंसा की वाणी होगी ।
खुशहाली बांहों में होगी ,
इक्कीसवीं सदी हमारी होगी ।।
अभी कहाँ विश्राम है यारों ,
हमें बहुत दूर चलना होगा -----
