STORYMIRROR

Neelam Sharma

Romance

5.0  

Neelam Sharma

Romance

इक दूजे बिन अधूरे हम

इक दूजे बिन अधूरे हम

1 min
517


तुम अथाह प्रेम के सागर हो प्रिय,

मैं स्नेह,त्याग की धारा

एक-दूजे बिना अधुरे हैं हम

कब होगा मिलन हमारा।


तुम शान्त हो सागर से

तो मैं हूँ तुम्हारा किनारा

तुम प्रेम उपवन में भंवरे से

मैं सुमन बगीचा प्यारा।


तुम मेघों से भरे अंबर हो

मैं धरा बहुत जो प्यासी

एक छोर पे आजा हम भी मिलें

चल दूर करें ये उदासी।


तू आफताब मैं माहताब

क्यों हम तुम मिल न पाए

आ तोड़ दें कुदरत के नियमों को

और एक साथ निकल आए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance