इज़हार ए मुहब्बत
इज़हार ए मुहब्बत
ए मुहब्बत तुझे याद करूं कैसे,
अब तू ही बता तुझसे बात करूं कैसे,,,,,,
बात करने के लिए मचलते भी हो,
इधर मेरी गली से निकलते भी हो,
याद आते हो आते जाते मिलते भी हो,
सुना है कटे फटे दिलों को सिलते भी हो,
बात दिल की दिल में रह गयी है,
आज तुमसे मैं कहूं कैसे,
ए मुहब्बत तुझे याद करूं कैसे,
अब तू ही बता तुझसे बात करूं कैसे,
अब तू ही बता तुझसे बात करूं कैसे!

