ईश्क और बूढ़ापा
ईश्क और बूढ़ापा
वो कहतीं हैं उम्र हो चुकी है तुम्हारी
अब ईश्क करना सही नहीं है
मैंने कहा उम्र देखकर इश्क करो
ऐसा कहीं लिखा तो नहीं है
अरे शरीर बूढ़ा हो गया तो क्या
इश्क़ तो हमेशा जवान होता है
जो तन मन धन लुटा दे प्यार में
समझो वही महान होता है
ईश्क में मोल शरीर का क्यों करें
क्योंकि दिल तो अनमोल होता है
धोखा देने वाला हमेशा मीठा बोले
और प्यार का तो अलग बोल होता है
अरे बूढ़ा हूँ फिर भी आज तक
दिल में आजाद परिंदा रखा है
तुम जानते नहीं बूढ़े शरीर में मैंने
एक जवान दिल जिंदा रखा है
फिर उसने कहा इश्क बुढ़ापे का नहीं
बल्कि नौजवानों का जमाना होता है
मैंने कहा शराब जितना भी पुराना हो
उसका नशा उतना ही ज्यादा होता है।