ईर्ष्या नहीं प्रेम करो
ईर्ष्या नहीं प्रेम करो
पत्थर उठा लेते हो हाथ में,
यह ठीक नहीं जज़बात से।
ईर्ष्या नहीं प्रेम करो,
हम तुम्हारे करीब यकीन करो।
ना दिल जलता है ना शमा कोई,
उजालों की तलाश में है कोई।
जरा शौर्य की उपमा दो,
धर्म का तमाशा बंद करो।
न कर गुरूर न कर इल्तिजा,
जफा पर हो सके तो दे सजा।
