हृदय में बसता भारत
हृदय में बसता भारत
कोई हिन्दू-कोई मुस्लिम, है कोई सिख-ईसाई
देखो कैसी विशिष्ट पहचान हमने है पाई
भिन्न है बोली, भिन्न है भोजन, भिन्न वेशभूषा
घूम लो सारा संसार, कोई देश ना ऐसा दूजा
चोट लगे मुस्लिम को तो मदद को आगे आता है हिन्दू
हिन्दू को देख मुसीबत में मुस्लिम बन जाता है बन्धु
पग-पग पर यहाँ पानी बदले, पग-पग पर चाहे बदले वाणी
हर प्रांत की बात लगती है बरसों की जानी-पहचानी
इतना भेद होकर भी नहीं है कोई अंतर
जाने कैसा देश है जैसे कोई जादू-मंतर
अनेकता में एकता को मिलता है बल
बढ़ती ही जाए कल, आज और कल
भिन्न संस्कृतियाँ मन सबका मोह लेती
जैसे छिपा हो सीप के मध्य कोई मोती
ऐसा पावन दृश्य केवल भारत में है दिखता
तभी हमारा देश हमारे हृदय पर राज करता।