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हर राज़ से वाकिफ है वो

हर राज़ से वाकिफ है वो

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मेरे हर राज़ से वाकिफ है वो इसीलिए तो

मेरी हँसी में छुपे दर्द को पहचान जाता है,

और बार-बार एक ही सवाल करता है कि

तुम्हारे मुस्कुराने की वजह क्या है।

क्यों अपने दर्द छुपा रही हो बाँट लो इनको हमसे,

कितना प्यार है उसको हमसे यह हम भी जानते हैं

पर हम दर्द नहीं खुशियाँ ही अपनी बांटते हैं।


मेरी हँसी का राज़ तो राज ही समझेगा,

उसकी यादों का एहसास तो वो खुद ही समझेगा,

जब उसके चेहरे पर खुशी होती है,

तो हम भी मुस्कुरा लेते हैं थोड़ा-सा।

जब उसके चेहरे पर नमी होती है,

तो हम भी रो लेते हैं थोड़ा-सा।

कभी खुशी कभी गम, ये तो जीवन की रीति है,

इस रीति को बनाने वाले की महिमा हम दोनों कहाँ समझेंगे,

हमारी हँसी का राज़ तो राज ही समझेगा...


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