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Dr. Anu Somayajula

Abstract

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Dr. Anu Somayajula

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हर कुत्ते के दिन आते हैं

हर कुत्ते के दिन आते हैं

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माना कि

तुम हो सशक्त बड़े

प्रकृति की राहों में रहे सदा अड़े


जो कुछ उठता है ऊपर

आख़िर नीचे ही आ गिरता है

नियम अटल यह बोलो कैसे भूल चले !


परिवर्तन प्रकृति की रीत रही,

कल तुम थे मुझ पर भारी

अब मेरी तैय्यारी

हर कुत्ते के दिन आते हैं

ये कैसे तुम भूल चले !


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