हर का द्वार
हर का द्वार


जल तरंग में बहती
रोशनी ज्योत की...
और बहते दीयों का प्रकाश...
मंद मंद चलती पुरवाई
और छल छल करता
पावन गंगा का यौवन ...
उमड़ा हुजूम फ़रियाद का
उमड़ा हुजूम उस आस का
श्रद्धा और विश्वास का....
आवाजें और शोरगुल में
गूंजा आसमान सारा..
हर हर गंगे की ध्वनि से
महक उठा यह समय प्यारा ..
क्या नज़ारा कुम्भ का...
क्या नज़ारा इस पावन धाम का..
हर के द्वार का
हरिद्वार का....
ओम नम: शिवाय