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JAYANTA TOPADAR

Tragedy

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JAYANTA TOPADAR

Tragedy

हक़ीक़त...

हक़ीक़त...

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मैं ज़िन्दगीनामा लिखता गया...

ग़मगीन लम्हों की

अनकही बातों ने मेरा

सूरत-ए-हाल बयां किया...


हर एक पल की

यादों में सराबोर

मेरा तन्हा दिल

रफ्ता-रफ्ता बर्फ-सा 

पिघलता गया...!


जाम उठाने की

नौबत आई ही नहीं,

मैंने पैमाना-ए-दिल

छलका दिया...


यूँ मैख़ाना-ए-तबीयत

मचल गई...

शायराना दिल मेरा 

प्यार की अदायगी में

दर-ब-दर भटकता गया...

नशा मगर टूट गया

मोहब्बत के ईरादों का !



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