होली
होली
आप सबको
मुबारक हो
प्रेम रंग में डूबी
प्रेम के रंगों से
लबरेज़ होली
वही लाल बैगनी
नीली पीली
सफ़ेद नांरगी
और आसमानी
होली
जो कल तक
गली नुक्कड़
और स्कूल के
आँगन में
सब मतभेदों को भुलाकर
एक दूसरे को
रंग देने की होली
हिन्दू मुस्लिम
जात पात से ऊपर
इंसान को इंसानियत के
रंग में रंग देने वाली
होली
होली तो होली है
ये कोई मनोविज्ञान नहीं है
जिसके मन में नहीं है
उसकी ये नहीं है
ऐसा नहीं है
बिल्कुल नहीं है
जो भी इससे भागा है
उसको पहले पकड़ती है
अपनी अपनेपन की
गिरफ़्त में ये उसको
जकड़ती है
प्यार का गुलाल
उसके गालों पर रगड़ती है
और चुपके से उसके
कान में कहती है
मुबारक हो
भाई होली
प्यार की होली
अब हो गई
तुम्हारी होली
इससे कोई अछूता नहीं है
सब इसके रंग में रंगे है
ये रंगों की होली
आप सबको मुबारक
ये प्यार की पिचकारी से
अपनेपन की बोली
मुबारक आपको
अपनी ये होली.....