पौधा
पौधा
रोज नियम से पानी देने के बावजूद
सूखने लगा वह पौधा
पहले मुरझाई पीली पड़ी
उसकी पत्तियाँ, फिर गिरने लगीं।
बडे़ जतन से लाकर लगाया था उसे
अभी कुछ ही अरसा तो हुआ था
लग रहा था कि पकड़ ली है उसने जड़
रच बस गया है उस मिट्टी में
मान लिया है गमले को अपना घर
फिर अचानक ही सूखने लगा।
किसी ने कहा खाद दो
किसी ने जगह बदलने को कहा
कीड़े तो नहीं दिख रहे कहीं
लेकिन बस सूखता जा रहा है
वह पौधा जो लाया गया था जतन से
पुष्पित पल्लवित होने के लिये।
कोई नहीं देखता उस गमले में
जिसमें घर बने हैं
चीटियों के
संस्कारों मर्यादाओं के
अंडे देने के लिए
वे खा रहीं हैं जडें पौधे की
खाद पानी मिट्टी धूप मिलने के बाद भी
नहीं पनपने दे रही हैं उसे
जी भर कोशिश कर खुद को बचाने की
एक दो ठिठुरती कलियाँ आती हैं
जो खिर जाती हैं असमय
फूल बने बिना।
कितनी भी कोशिश कर लो
वह पौधा नहीं पनपेगा
उसके मुरझाने का कारण
दबा हुआ है मिट्टी में
गमले की मिट्टी निकालो
उसे दिखाओ धूप
खत्म करो जडें कुतरने वाली चीटियों को
उनके असंख्य अंडों को
कि पौधा सचमुच जीना चाहता है
खिलना चाहता है।
