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Rishi kumar

Abstract

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Rishi kumar

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होली

होली

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राधा सखियन संग चली, नंद भवन की ओर

गली गले रंग मल लखें, छज्जे युगल किशोर


सारंग रंग रंगे अंग अंग, ब्रज वाले ब्रजेश को रंग अनोखो

प्रीत पुनीत सुनीत सुमन, पूरे ब्रज कों भाव के रंग मे घोलो


प्रेम पीयूष पिए नर नारी, सुरलोक से फूल बरसत है अदेखो

गाँव गली ग्वालिन घेरो कान्हा, राधा होली खेले मुरली है देखो।


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