छंद
छंद
नवधा चरित साधन साधु जापयोग,
अर्थार्थी हुए महान हम आर्त हैं /
इन्द्रि ज्ञान न एकाग्र ध्यान मनोयोग,
धर्म अधर्म भूले बाणाधारी पार्थ हैं //
न्याय कर्म उचित न वाणी आत्मयोग,
दण्ड न विधान धर्मराज कृतार्थ हैं /
चिंतन मनन ज्ञान त्याग देहयोग,
शील दया क्षमा सब अदृष्टार्थ हैं //