गाँव
गाँव
1 min
281
बूढ़ा बरगद गाँव का, चीख रहा कर जोर ।
उसकी सुनता कौन है, सबके अपने मोर ।।
गाँव शहर को पालता, पेट काट सब देय ।
फिर भी न जाने किस लिए, कोई न सुद लेय ।।
पीपल भी करने लगा, शहरों से परहेज ।
वृंदा चम्पा कमोदिनी, रखनी हमें सहेज ।।
गाँव लील कर शहर ने, ऊँचा कीना भाल ।
पादप पोखर मेंट कै, उगा रहा है भाल ।।