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Rishi kumar

Others

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Rishi kumar

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गाँव

गाँव

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बूढ़ा बरगद गाँव का, चीख रहा कर जोर ।

उसकी सुनता कौन है, सबके अपने मोर ।।


गाँव शहर को पालता, पेट काट सब देय ।

फिर भी न जाने किस लिए, कोई न सुद लेय ।।


पीपल भी करने लगा, शहरों से परहेज ।

वृंदा चम्पा कमोदिनी, रखनी हमें सहेज ।।


गाँव लील कर शहर ने, ऊँचा कीना भाल ।

पादप पोखर मेंट कै, उगा रहा है भाल ।। 



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