दोहे
दोहे
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जलता रवि शीतल हुआ, शशि मुख देख अनूप /
अगिन प्रीत मे जल हुई, मेरे ही अनुरूप //
फूली सरसों सा हुआ, मेरा भी है हाल /
ठण्डक बिन पुट सूखते, तुसार परे तो काल //
मन घिरा कोहरा घना, थरथर कपै शरीर /
नैनन झरती चाँदनी, शीतल चितवन तीर //
धूप गुनगुनी हो गई, छू कर मेरा गात /
वरना जमती बर्फ सी, पानी के संग वात //