होली खेलत नंदलाल
होली खेलत नंदलाल
बिरज में होली खेलत नंदलाल
मारे पिचकारी उड़ावत गुलाल
बिरज में होली खेलत नंदलाल....
गोपिन को मुख रंग-रंग डारी
भर - भर मारे रंग पिचकारी
अंगिया भीजी, भीजी सारी
खिसियावे अरु दीन्ही गारी
मुस्कावे मंद मदनगोपाल
बिरज में होली खेलत नंदलाल....
पीछे-पीछे कान्हा आगे राधा
पिचकारी का लक्ष्य है साधा
रंग लगे मुख तन पर आधा
इत उत भागी जाए राधा
भागती जाए चुनरी संभाल
बिरज में होली खेलत नंदलाल....
राधा को कान्हा रंग लगाय
रंग के बहाने अंग लगाय
प्रेम के रंग में दोनों नहाय
दोनों ही देखे और मुस्काय
लाज से राधा हो गई लाल
बिरज में होली खेलत नंदलाल....
दृश्य मनोहर अद्भुत सुंदर
पुलकित धरती हर्षित अंबर
नयन जुड़ावे हैं मुनि,सुर,नर
साक्षी बने हैं सकल चराचर
मुदित भये मन नयन निहाल
बिरज में होली खेलत नंदलाल।