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Gyanendra Mohan

Inspirational

4.1  

Gyanendra Mohan

Inspirational

होली का त्यौहार

होली का त्यौहार

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होली है त्यौहार प्यार का, सबका मन मचले।

बीती बातों को बिसराकर, आओ मिलें गले।


आँगन का बँटवारा,

कमरों की दीवारें सन्न।

चेहरों पर अपराध बोध,

फिर कैसे रहें प्रसन्न।


क्यों न आज, फिर से गुलाल, उन अपनों पर उछले।


दुनियादारी में फँसकर,

हो ऊल-जलूल गए।

खुलकर हँसना और

ठिठोली करना भूल गए।


ढेरों किस्से टंगे रह गए, कहाँ-कहाँ फिसले।


आ जाओ प्रिय!

संकोचों की बर्फ पिघलने दो।

भुज पाशों में वही,

रूप, रस, गंध मचलने दो।


कब तक दूर रहोगे मुझसे, यूँ ही टले-टले।

                   



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