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Gyanendra Mohan

Abstract

4.7  

Gyanendra Mohan

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अद्भुत मौसम

अद्भुत मौसम

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अद्भुत मौसम

टहल रहे हैं

सड़कों पर बादल।

मस्त हवा का

हुआ जा रहा

बेकाबू आँचल।  


लगता है

धरती की किस्मत

खिलने वाली है।

उमस भरे मौसम से

राहत

मिलने वाली है। 


आसमान भी

आँज रहा है

नयनों में काजल। 


सुंदर इंद्रधनुष भी

उभरा है

हौले-हौले।

ज्यों नेता

चुनाव से पहले

जनता को तौले।


इन्द्रदेवता! 

खोलो भी अब

चढ़ी हुई साँकल। 


पीने वाला 

पीता ही है

यूं तो हर मौसम।

कभी खुशी में

और कभी जब

होता कोई ग़म।


इस बारिश में

तेरी यादें

कर देंगी पागल।


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