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Gyanendra Mohan

Inspirational

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Gyanendra Mohan

Inspirational

गीत : बहुत जरूरी है

गीत : बहुत जरूरी है

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इस अंधकार को आख़िर मिटना हो होगा,

बस दीप जलाते रहना बहुत जरूरी है।


दुख-दर्द बाँट लेते हैं अक्सर आपस में,

हम साथ-साथ खाते पीते रहते आए।

हिन्दू मुस्लिम या सिक्ख पारसी ईसाई,

हम एक-दूसरे से कटकर कब रह पाए।


जो खड़ी हो रही हैं नफ़रत की दीवारें,

उन दीवारों के ढहना बहुत जरूरी है।


मज़हब क्या होता है तुमको बतला देंगे,

तुलसी कबीर नानक गौतम गाँधी जैसे।

कैसे चुकता होता हैं माँ का कर्ज़ यहाँ,

पूछो सुभाष अशफ़ाक़ लाहिड़ी रोशन से।


ईसा ने सूली पर चढ़ना स्वीकारा था,

कुछ दर्द तुम्हें भी सहना बहुत जरूरी है। 


कवि हूँ शुभचिंतक हूँ धरती के कण-कण का,

है कौन कहाँ पर ग़लत बताना ही होगा।

संस्कृति की रक्षा का दायित्व हमारा है,

दिग्दर्शक बनकर हमें निभाना ही होगा।


मानवता की पहचान बनाए रखने को,

हर बात समय पर कहना बहुत जरूरी है। 



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