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Gayatri Kalkal

Abstract

4.0  

Gayatri Kalkal

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हमने पाई है आजादी

हमने पाई है आजादी

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आजादी की क्या बात करूं हमने पाई है आजादी

शहीदों के खून की रंगत लाई है आज़ादी।

चारों ओर खुशी से भरमाई है जनता।

आजादी के इस जश्न में मन है रमता।

पर कुछ लोग आज भी हैं ऐसे जिनके पास नहीं है रोज़गार, नहीं हैं पैसे।

जो आज भी अपनी भूख प्यास के गुलाम हैं।

उनके लिए हर दिन एक समान हैं।

उन्हें ना समय का भान है।

उनके लिए आजादी और आजाद भारत का ना कोई अर्थ है।

जो सोचते हैं ये जीवन व्यर्थ है।

उन पर कोई तरस खाओ इंसानियत और आजादी समझाओ।

आजादी के जश्न में कोई उन्हें भी शामिल करवाओ।

आज गरीबों को नहीं गरीबी हटाओ।

तभी सच्ची आजादी होगी और सच्चा स्वराज होगा।

जब भूखे को भरपेट खाना मिलेगा,

जब हर बच्चे को पोषण मिलेगा, तभी हर चेहरा खिलेगा।

तो इसलिए इस आजादी दिवस पर लो ये प्रण,

सभी को मिले जल और अन्न।

ताकि सुखी हो जन जन।

और हम कह पाए हां हमने सच में पाई है आजादी, हमने पाई है आजादी।



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