स्वरों की कहानी
स्वरों की कहानी
आज सुनाती हूं आपको स्वरों की कहानी,
ना इसमें कोई राजा ना कोई रानी,
ना कोई परी, ना कोई राक्षस,
ये तो है स्वरों की कहानी।
अ ने बोला मैं व्यंजनों को देता हूं बल,
आ बोला मैं मात्रा बनकर शब्दों का अर्थ बदल देता हूं।
इ , ई ने बोला मैं भी बहुत सारे शब्द बनाऊं,
उ से उल्लू और ऊ से ऊन कहलाऊं।
ऋ से ऋषि बनकर सच्चा ज्ञान कराऊं।
ए से एड़ी और ऐ से ऐनक आंखों पर लग जाऊं।
ओ से ओखली, औ से औरत सहनशीलता की पहचान दिखाऊं।
अं से अंगूर खट्टा -मीठा स्वाद दे जाऊं।
इनके साथ साथ व्यंजनों का ज्ञान कराऊं।
इन सब को पढ़कर अंत में,
ज्ञ से ज्ञानी सबको बुद्धिमान बनाऊं ।
ये है स्वरों की कहानी उन्हीं की जबानी,
ये है स्वरों की कहानी।
