हमारा रूठना
हमारा रूठना
रूठ जाते थे वो बात-बात पर,
पर हम मना लिया करते थे
बेरुखी ही सही, पर उनका साथ पाकर
हम खुद को खुशकिस्मत समझते थे।
पर जुदा कर गया हमें उनसे
एक दिन 'हमारा रूठना'
समझे आज तक नहीं कि
हमें 'रूठना नहीं आता' या उन्हें 'मनाना' ।।
