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Mrs. Mangla Borkar

Tragedy Classics

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Mrs. Mangla Borkar

Tragedy Classics

हमारा ख़ज़ाना

हमारा ख़ज़ाना

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हमारा खजाना कहाँ खो गया

किसको पाकर जग दिवाना हो गया

गौर से देखा तो वह पत्थर निकला

पत्थर के लिए खून खराबा हो गया


हमारा ख़ज़ाना कहां खो गया

मैंने कहा ये हमारा ख़ज़ाना नहीं है प्यारे

क्यों इसके लिए मरते मारते हो तुम सारे

भाई भाई का दुश्मन इसके लिए हो गया


हमारा ख़ज़ाना कहां खो गया

हमारा ख़ज़ाना भाई- भाई के प्यार में था

गीता, रामायण, बाईबल और कुरान में था

यह तो तुम लोगों से खोजा न गया


हमारा ख़ज़ाना कहां खो गया

अपने नैतिक मूल्यों को अब अपनाओ

अपने समाज को तुम खुशहाल बनाओ

माता-पिता की सेवा में ये तो पाया गया

अब ये ख़ज़ाना हमारा हो गया।


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