हमारा देश
हमारा देश
हर बार औरों को अपनों जैसे
इज़्ज़त देते आए हैं ।
है सहनशीलता कितना हम में
ये दिखलाते आए हैं ।
भेद किया है नही किसी से
जो दर पर अपने आया है।
वसूधैव कुटुम्बकम का पाठ
पूरी दुनिया को सिखलाया है।
ज्ञान के सागर होकर भी
ना अहम् किसी ने कभी किया
गाँधी ,बुद्ध बनकर सच की बस
राह दिखाते आयें हैं।
मगर इस सच्चे पन का ख़ूब
सबने लाभ उठाया है।
आए अतिथि बनकर थे,फिर
हमें ही ग़ुलाम बनाया है।
पर नही अब इस दुनिया को
हम राज खुद पर करने देंगे ।
ना करेंगे पहल हम युद्ध की पर
प्रहार उनको भी ना करने देंगे।
ना बैठेंगे हम खामोशी से
दहाड़ ,जी जान से करना है।
भारत की तरफ़ जो आँख उठाए
ना बर्दाश्त इसे अब करना है।
ना बर्दाश्त इसे अब करना है।