हम तीन
हम तीन


वो तीन सखियां हैं या बहने
कोई नहीं समझ पाता था।
वो तीन एक हैं या जुदा जुदा
कोई नहीं जान पाता था।
तीनों जिधर से निकले
एक उजाला सा छा जाता था।
उनकी खूबसूरती के सामने मानो
चांद भी फीका पड़ जाता था।
उनका गोरा रंग जैसे
चांदनी को भी मात दे जाता था।
उनकी आंखों की उदासी को
कोई नहीं भांप पाता था।
जब तीनों मिल कर देखती थी
अपनी गुजरी हुई माँ की तस्वीर
तब ग़म भी उन से घबरा जाता था।