हम से तो पंछी अच्छे
हम से तो पंछी अच्छे
हम से तो पंछी अच्छे
हम से तो पंछी अच्छे,
सहज सरल व सच्चे।
धरा, गगन में उन्मुक्त विचरते।
तेरे मेरे का विचार न करते।
न कोई दर्प न अभिमान
न ऊंची उड़ान का गुमान
न बड़ी बड़ी इच्छाएं न अभिलाषा
थोड़ा दाना पानी मिलने की आशा
न डाल के लिए करते झगड़ा
न तिनकों के लिए लफड़ा
हर परिस्थिति चहकते रहते
प्रकृति के नियमों में रहते
सूरज उगने से पहले उठ जाएं
चांद चमकने से पहले सो जाएं
तिनकों के घरौंदे खुला आसमान
हौसले बुलंद मीलों भरते हैं उड़ान
न किसी से ईर्ष्या न किसी से जलन
न दाना संग्रह न ज्यादा पाने का मन
पंछियों ने पढ़ लिया है गीता का ज्ञान
कर्म करो योग क्षेम करते हैं भगवान।।