हम ख़ुद न पालन करते
हम ख़ुद न पालन करते
सत्य कभी न मरने दूँगा,
अपने को कभी न झुकने दूँगा।
ऐसा हम सब है कहते,
हम ख़ुद ही न पालन करते।।
झूठ कभी न बोले बच्चे,
बने नेक ख़ूब हो सच्चे।
किसी से न मिलने का मन हो,
कह दो न हूँ, बच्चों से कहते।।
हम हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
आपस में है सब भाई-भाई।
मंदिर-मस्जिद के नाम पर हम,
अक्सर आपस में हैंलड़ते।।
सच के पथ पर चलना है,
ईर्ष्या जलन न रखना है।
दूजे का धन वैभव देख,
झट से ईमान अपना बदलते।।
मात-पिता की सेवा करना,
भाई-बहन पर प्यार लुटाना।
हम सबको देते यह शिक्षा,
पर इनको ही हम भार समझते।।
धन-दौलत व पद-प्रतिष्ठा,
पाकर अभिमान हमें आ जाता।
अपनों को भी न पहचाने,
घमंड में तन कर हम है चलते।।
बड़ी बड़ी हम बातें करते,
उस पर अमल न है करते।
दूजे से हमें जो रहे अपेक्षा,
उस पर हम ख़ुद ही न चलते।।
लगती उनसे है चिढ़ मुझको,
जो सच्चाई न है कहते।
मुख पर हाँ में हाँ मिलाकर,
पीठ पीछे है बुराई करते।।