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Basudeo Agarwal

Abstract

2.1  

Basudeo Agarwal

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समान सवैया "हम और तुम"

समान सवैया "हम और तुम"

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(समान सवैया / सवाई छंद / 32 मात्रिक छंद)

बम बम के हम उद्घोषों से, धरती गगन नाद से भरते।

बोल 'बोल बम' के पावन सुर, आह्वाहन भोले का करते।।

पर तुम हृदयहीन बन कर के, मानवता को रोज लजाते।

बम के घृणित धमाके कर के, लोगों का नित रक्त बहाते।।


हर हर के हम नारे गूँजा, विश्व शांति को प्रश्रय देते।

साथ चलें हम मानवता के, दुखियों की ना आहें लेते।।

निरपराध का रोज बहाते, पर तुम लहू छोड़ के लज्जा।

तुम पिशाच को केवल भाते, मानव-रुधिर, मांस अरु मज्जा।।


अस्त्र हमारा सहनशीलता, संबल सब से भाईचारा।

परंपरा में दानशीलता, भावों में हम पर दुख हारा।।

तुम संकीर्ण मानसिकता रख, करते बात क्रांति की कैसी।

भाई जैसे हो कर भी तुम, रखते रीत दुश्मनों जैसी।।


डर डर के आतंकवाद में, जीना हमने तुमसे सीखा।

हँसे सदा हम तो मर मर के, तुमसे जब जब ये दिल चीखा।।

तुम हो रुला रुला कर हमको, कभी खुदा तक से ना डरते।

सद्बुद्धि पा बदल सको तुम, पर हम यही प्रार्थना करते।।


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