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Basudeo Agarwal

Abstract

4.2  

Basudeo Agarwal

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एकावली छंद "मनमीत"

एकावली छंद "मनमीत"

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किसी से, दिल लगा।

रह गया, मैं ठगा।।

हृदय में, खिल गयी।

कोंपली, इक नयी।।


मिला जब, मनमीत।

जगी है, यह प्रीत।।

आ गया, बदलाव।

उत्तंग, है चाव।।


मोम से, पिघलते।

भाव सब, मचलते।।

कुलांचे, भर रहे।

अनकही, सब कहे।।


रात भी, चुलबुली।

पलक हैं, अधखुली।।

प्रणय-तरु, हों हरे।

बाँह में, नभ भरे।।


खोलता, खिड़कियाँ।

दिखें नव, झलकियाँ।।

झिलमिली, रश्मियाँ।

उड़ें ज्यों, तितलियाँ।।


हृदय में, समा जा।

गले से, लगा जा।।

मीत जब, पास तू।

'नमन' की, आस तू।।

***********

एकावली छंद विधान -

एकावली छंद 10 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है जिसमें पाँच पाँच मात्राओं के दो यति खण्ड रहते हैं। यह दैशिक जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 10 मात्राओं का विन्यास दो पंचकल (5, 5) हैं। पंचकल की निम्न संभावनाएँ हैं :-

122

212

221

(2 को 11 में तोड़ सकते हैं।)



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