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Basudeo Agarwal

Others

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Basudeo Agarwal

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चंद्रमणि छंद "गिल्ली डंडा"

चंद्रमणि छंद "गिल्ली डंडा"

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गिल्ली डंडा खेलते।

ग्राम्य बाल सब झूमते।।

क्रीड़ा में तल्लीन हैं।

मस्ती के आधीन हैं।।


फर्क नहीं है जात का।

रंग न देखे गात का।।

ऊँच नीच की त्याग घिन।

संग खेलते भेद बिन।।


खेतों की ये धूल पर।

आस पास को भूल कर।।

खेल रहे हँस हँस सभी।

झगड़ा भी करते कभी।।


बच्चों की किल्लोल है।

हुड़दंगी माहोल है।।

भेदभाव से दूर हैं।

अपनी धुन में चूर हैं।।


खुले खेत फैले जहाँ।

बाल जमा डेरा वहाँ।।

खेलें नंगे पाँव ले।

गगन छाँव के वे तले।।


नहीं प्रदूषण आग है।

यहाँ न भागमभाग है।।

गाँवों का वातावरण।

'नमन' प्रकृति का आभरण।।



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