मलयज छंद "प्रभु-गुण"
मलयज छंद "प्रभु-गुण"
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सुन मन-मधुकर।
मत हिय मद भर।।
करत कलुष डर।
हरि गुण उर धर।।
सरस अमिय सम।
प्रभु गुण हरदम।।
मन हरि मँह रम।
हर सब भव तम।।
मन बहुत विकल।
हलचल प्रतिपल।।
पड़त न कछु कल।
हरि-दरशन हल।।
प्रभु-शरण लखत।
यह सर अब नत।।
तव चरण पड़त।
रख नटवर पत।।
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मलयज छंद विधान -
"ननलल" लघु सब।
'मलयज' रच तब।।
"ननलल" = नगण नगण लघु लघु।
111 111 11 = 8 लघु वर्ण का वर्णिक छंद, 4 चरण, दो दो समतुकांत।