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Basudeo Agarwal

Abstract

4.2  

Basudeo Agarwal

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सुगति छंद "शांति"

सुगति छंद "शांति"

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340



शांति धारो।

दुःख टारो।।

सदा सुखदा।

हरे विपदा।।


रस-खान है।

सुख पान है।।

यदि शांति है।

नहिं भ्रांति है।।


कटुता हरे।

मृदुता भरे।।

नित सुहाती।

दिव्य थाती।।


ले सुस्तियाँ।

दे मस्तियाँ।।

सुख-सुप्ति दे।

तन-तृप्ति दे।।


शांति गर है।

सुघड़ घर है।।

रीत अपनी।

ताप हरनी।।


शांति मन की।

खान धन की।।

हर्ष दात्री।

'नमन' पात्री।।

***********

सुगति छंद / शुभगति छंद विधान -

सुगति छंद जो कि शुभगति छंद के नाम से भी जाना जाता है, 7 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत गुरु वर्ण (S) से होना आवश्यक है। यह लौकिक जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 7 मात्राओं का विन्यास पंचकल + गुरु वर्ण (S) है। पंचकल की निम्न संभावनाएँ हैं :-

122

212

221

(2 को 11 में तोड़ सकते हैं, पर अंत सदैव गुरु (S) से होना चाहिए।)



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