मौक्तिक दाम छंद "विनायक वंदन"
मौक्तिक दाम छंद "विनायक वंदन"
गजानन विघ्न करो सब दूर।
करो प्रभु आस सदा मम पूर।।
नवा कर माथ करूँ नित जाप।
कृपा कर के हर लो भव-ताप।।
प्रियंकर रूप सजे गज-भाल।
छटा अति मोहक तुण्ड विशाल।।
गले उपवीत रखो नित धार।
भुजा अति पावन सोहत चार।।
धरें कर में शुभ अंकुश, पाश।
करें उनसे रिपु, दैत्य विनाश।।
बिराजत हैं कमलासन नाथ।
रखें सर पे शुभदायक हाथ।।
दयामय विघ्न विनाशक आप।
हरो प्रभु जन्मन के सब पाप।।
बसो हिय पूर्ण करो सब काज।
रखो प्रभु भक्तन की पत आज।।
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मौक्तिक दाम छंद विधान -
पयोधर चार मिलें क्रमवार।
भुजा तुक में कुल पाद ह चार।।
रचें सब छंद महा अभिराम।
कहावत है यह मौक्तिक दाम।।
पयोधर = जगन ।ऽ। के लिए प्रयुक्त होता है।
भुजा= दो का संख्यावाचक शब्द
121 121 121 121 = 12 वर्ण का वर्णिक छंद। चार चरण, दो दो समतुकांत।