हक़
हक़
दूंगा
अधिकार उसको
जिसने कर्तव्य निभाए हों।
आंसू गिरेंगे बस उसके खातिर
जिसने कभी मेरे गम चुराए हों।
मानूंगा
हार उससे
जो मेरी जीत में कभी चहका हो
कुम्लाऊंगा
खातिर बस उसके
जो कभी मेरे लिए
महका हो,
कौन हो तुम
इनमें से
परिचय अपना
बतलाओ ना ।
हक़ आंसू
हार जीत
जो चाहिए
ले जाओ ना।।