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Ervivek kumar Maurya

Abstract

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Ervivek kumar Maurya

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हजारों गम हैं

हजारों गम हैं

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हजारों गम हैं फिर भी मुस्कुराता हूँ

तुझे खोकर भी मैं नया गीत गाता हूँ


मन की यादों में समंदर सी लहरें बनती हैं

दिल में मेरे एक ज्वाला सी उठती है

बन के शोला अंगारों पे चलता जाता हूँ

हजारों गम


तमन्ना है मेरे दिल की तुझे पाने की

तुझपे अपनी सारी जिंदगी लुटाने की

तेरी जिंदगी को अपना बना जिये जाता हूँ

हजारों गम


हाथों की लकीरों में तुम नहीं शायद

इस दूल्हे की दुल्हन तुम नहीं शायद

हकीकत में न सही पर ख्वाबों में स्वयंवर रचाता हूँ

हजारों गम


मेरे हालात ऐसे हैं खुद का ख्याल नहीं रखता

उसके बिना हूँ बेसुध, तो हर कोई है पागल कहता

मैं पागल हूँ,फिर भी उस पगली का नाम लिए जाता हूँ

हजारों गम...।


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