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Sumit RC Jain

Drama

3  

Sumit RC Jain

Drama

हिंदी

हिंदी

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कल रात हिंदी एक औरत के रूप में सपने में आई,

बारिश में चूल्हे को जलाती नज़र आई,

ऊपर एक जली कढ़ाई में

वर्णमाला को पकाती नज़र आई,

फूँकनी को हाथों में लेकर

अंगारों से खेलती नज़र आई,

कल रात हिंदी एक औरत के रूप में मेरे सपने में आई।


जब चूल्हा दिखा

तो थोड़ा समझ आया की

औरत अभी तो भारत में ही है,

वर्णमाला के पकने के वक़्त

अपनी छवि मैंने उसके बच्चे के रूप में पाई,

फटी साड़ी और बिखरे बालों के संग

उस सपने की मेरी मौसी आयी

उसी वक़्त मेरी नई चाची और माँ की सास आई

कुछ वो दोनो को बोली

पर अंग्रेज़ी थी मुझे कुछ समझ ना आई

कल रात हिंदी मेरी माँ के रूप में मेरे सपने में आई ।


कभी कहते हो अबला हूँ मैं,

कभी मातृ शक्ति का आश्वासन दिया ।

मेरे आँसुओं के सिंहासन पर,

सदैव पुरुष वर्ग ने राज किया ।।

माँ ने पूछा

तब माौसी ने अपनी व्यथा सुनायी

बातों को उनकी सुनकर

शांति की एक लहर सी छायी

कुछ समझ आई और

कुछ नहीं,

कुछ समज आयी और 

कुछ नहीं 

क्योंकि माँसी तो उर्दू थी बनकर आयी,

चूल्हे में ज़रा फूकनी को लगाकर 

माँ ने भी अपनी व्यथा सुनायी 

भारत और हिंदुस्तान को ना बोलकर 

इंडिया की थी बात सुनाई ।



कल रात हिंदी मेरी माँ के रूप में मेरे सपने में आई ।


नमस्ते तो बोलने वाले रहे नहीं कि

गले मिलने वाली प्रथा थी आई

आज के नौजवानों की जब

बात थी आई

माँ माौसी की आँखों को देख

मेरी भी आँखें भर आई की जब नौजवानों की बात थी आई ।


उन्होंने तो माँ माौसी को छोड़

अंग्रेज़ी वाली चाची थी अपनाई,

बुरी नहीं थी वो पर

शायद थोड़ी उनको अच्छी थी लग आई ।


माफ़ी वाले शब्दों को ना अपना कर

फक यू वाली उसने प्रथा थी चलाई,

शायद बुरी नहीं थी वो माँ मौसी फिर भी

उन्होंने तो चाची अपनाई ।


माँ मौसी को वृद्ध आश्रम छोङकर चाची की पूजा थी कराई

इंडिया की उन्नति से लेकर भारत की दुर्गति थी कराई

कल रात हिंदी माँ मेरे सपने में थी आई,

रोती बिलखती वो अपने आश्रम में

सो गई वो बिना चारपाई

कल रात मेरे हिंदी माँ के रूप में मेरे सपने में थी आई ।



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