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Shilpi Goel

Abstract Classics Inspirational

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Shilpi Goel

Abstract Classics Inspirational

हिन्दी उज्ज्वला

हिन्दी उज्ज्वला

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हिन्दी का बीता हुआ कल भी उज्जवल था

चल रहा वर्तमान भी उज्जवल है

और आने वाला भविष्य भी उज्जवल रहेगा

कभी देखा है किसी बच्चे को पैदा होने पर

'मदर' कहकर रोते हुए,

हर दर्द में बस 'माँ' शब्द ही मुख से निकलता है

घूमकर देखो सारी दुनिया चाहे इस जन्म या उस जन्म

अंग्रेजी बोलने वाले तो मिलेंगे सबको हर कदम

क्योंकि सरलता को सहजता से अपनाया जाता है

माना हिन्दी कठिन है हमारी

क्यों भूल जाते हो कठिन मार्ग ही तो

सफलता की सीढ़ी की और ले जाता है

सरलता से मिल जाए जो उसकी महत्ता किसे है

कठिन व्यक्तित्व को समझने का मजा ही अलग है

हिन्दी बोलने में शर्म करना ठीक उसी प्रकार है

जैसे माँ का अपने आँचल में,

दूध के लिए बिलखते बच्चे को सिर्फ इसलिए ना समेटना

कि लोग क्या कहेंगे, किन नजरों से देखेंगे

और बच्चा भूख से बिलख-बिलख कर रोता रहे

वह शर्म किस काम की

जो अपने ही बच्चे को तड़पने के लिए मज़बूर कर जाए

जितना उज्जवल चाहोगे अपना भविष्य

उतना ही उज्जवल कर पाओगे हिन्दी का भविष्य

माँ से प्यार करने में कैसी हिचक

माँ का प्यार है असीम, करो बेझिझक

हिन्दी भाषा नहीं हमारे अस्तित्व की पहचान है

बीते हुए कल को रचा जिसने

आने वाले कल को रच, गढ़ने वाली नये कीर्तिमान है।


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