हिन्दी मेरी भाषा
हिन्दी मेरी भाषा
भाषा की नई पहल अब मुझे सीखनी है।
जानना है इसके जड़-चेतन को
खोजना है इसकी गहराई को।
मैं खोना चाहती हूँ,
इसके संसार में
बनना चाहती हूँ, इसकी पारखी
जलेश सा हृदय है इसका
युक्ति की यह खान हैं,
बनना है मुझे इसका सारथी।
मैं ग्रहण करना चाहती हूँ।
इसकी सौम्यता, सरसता, कोमलता
ये भाषा हैं हिन्दी।