हे राम
हे राम
हे राम हमारे पाप हरो
हे राम यह संताप हरो
चारों ओर मचा है हाहाकार
अब बंद हो यह नरसंहार
हे आदि पुरुष! आप अंतर्यामी हो
हे राम ! हमारे स्वामी हो
अब बढ़ रहा है यह विकराल अंधेरा
हे अनन्तगुण! हम निर्गुणों का बनो सहारा
हे पुरुषोत्तम हमारी आस बनो
हममें हमारा विश्वास बनो
भय लज्जा हमें सीमा में बाँधती
ये कुंठित आत्मा तुम्हें पुकारती
इस नीर शान्ति में गोता लगाते
हे प्रभु हम तुम्हें पुकारते
जीवन-संशय से विचलित हो जाते
भ्रमित से प्रभु हम तुम्हें निहारते
तुम्हारी भक्ति से अपनी निर्बलता छिपाते
हृदय से प्रभु हम तुम्हें पुकारते
जाने कैसे यह वेदना सह पाते
हे कौसलेय !हे राघव !हे धनुर्धर! हे राजीवलोचन!
हे महाभुज! हे सीताकांत! हे यज्वने !
हे राम हम तुम्हें पुकारते..।
